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प्रभाकर भास्कर दिनकर दिवाकर
तानसेन
जाग मेरे राम भूरि भाग मेरे राम
जाग मेरे राम भूरि भाग मेरे राम,गीत राम मेरे राम अनुराग ‘रसराम’ हैं।
रामरसरंगमणि
लगन थारी लागी चतुरभुज राम
लगन थारी लागी चतुरभुज राम।श्याम सनेही जीवन ये ही औरन से क्या काम।
प्रतापबाला
हमारे मदन गोपाल हैं राम
हमारे मदन गोपाल हैं राम।धनुषबान विमल वेनुकर पीत बसन और रतन धन स्याम॥
परमानंद दास
आज बने राम सिया सुंदर
आज बने राम सिया सुंदर सुघर बर रस के रसिक रसदान।रस की प्रवीण लिये बीन नवीन सिया पिया रस पुलकि ले तान॥
कृपानिवास
कखन हरब दुख मोर हे भोलानाथ
कखन हरब दुख मोर हे भोलानाथ।दुखहि जनम भेल दुखहि गमाएब सुख सपनहु नहिं भेल, हे भोला...
विद्यापति
हे घन स्याम, कहाँ घनस्याम
हे घन स्याम, कहाँ घनस्याम।रज मँडराति चरन-रज कित सों सीस धरैं अठजाम॥
सत्यनारायण कविरत्न
सिया राम हिय मध्य
सिया राम हिय मध्य राम सिय के उर माहीं।थप्यो पुष्ट तेहि काल तुष्ट भयो आयो दोउ पाहीं॥
बनादास
सखि हे, कि पुछसि अनुभव मोए
सखि हे, कि पुछसि अनुभव मोए।सेह पिरिति अनुराग बखानिअ तिल-तिल नूतन होए॥
विद्यापति
भरत-राम का प्रेम (एन.सी. ई.आर.टी)
बंधु बोलि जेंइय जो भावै गई निछावरि मैया"कबहुँ समुझि वनगमन राम को रहि चकि चित्रलिखी सी।
तुलसीदास
हे री मैं तो प्रेम दिवानी
हे री मैं तो प्रेम दिवानी, मेरा दरद न जाने कोय।सूली ऊपर सेज हमारी, किस बिध सोना होय।
मीरा
सखि हे मोर बड़ दैब बिरोधी
सखि हे मोर बड़ दैब बिरोधी।मदन बेदन बड़ पिआ मोर बोलछड़ अबहु देह परबोधी॥
विद्यापति
जयति श्री जानकी राम जोरी
हरिहर प्रसाद
राम बाम कर सुमन गिर्यौ
राम बाम कर सुमन गिर्यौ धोखे सों भूतल।रह्यौ न पूजा योग लेन पुनि लगे फूल दल॥
बनादास
जिहिं कीनो परपंच सब
जिहिं कीनो परपंच सब अपनी इच्छा पाई।ताको हौं बंदन करौं हाथ जोरि सिर नाई॥