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ब्रजदेवी के प्रेम की
ब्रजदेवी के प्रेम की, बँधी धुजा अति दूरि।ब्रह्मादिक बांछत रहैं, तिनके पद की धूरि॥
ध्रुवदास
कै सांई की बंदगी
कै सांई की बंदगी, कै सांई का ध्यांन।सुन्दर बंदा क्यों छिपै, बंदे सकल जिहांन॥
सुंदरदास
ज्यौं अमली की ऊंघतें
ज्यौं अमली की ऊंघतें, परी भूमि पर पाग।वह जानै यह और की, सुन्दर यौं भ्रम लाग॥
सुंदरदास
शशि चकोर अरविंद मलि
शशि चकोर अरविंद मलि, विष पतंग मृग राग।जिन बिन चल्यों न क्यों तजें, जदपि एक अनुराग॥
दयाराम
इंद्री अरु रवि शशि कला
इंद्री अरु रवि शशि कला, घात मिलावै कोई।सुन्दर तोलै जुगति सौं, तब मन पूरा होइ॥
सुंदरदास
पद्मनाभ के नाभि की
पद्मनाभ के नाभि की, सुखमा सुठि सरसाय।निरखि भानुजा धार को, भ्रमि-भ्रमि भंवर भुलाय॥
रघुराजसिंह
इश्क उसी की झलक है
इश्क उसी की झलक है, ज्यौं सूरज की धूप।जहाँ इस्क तहँ आप हैं, क़ादिर नादिर रूप॥
नागरीदास
तूहूँ ब्रज की मुरलिया
तूहूँ ब्रज की मुरलिया, हमहूँ ब्रज की नारि।एक बास की कान करि, पढ़ि-पढ़ि मंत्र न मारि॥
नागरीदास
कै कृपाण की धार कै
कै कृपाण की धार कै, अनल-कुंड कौ ठाट।एही बीर-बधून के, द्वै अन्हान के घाट॥
वियोगी हरि
सुन्दर मानुषा देह की
सुन्दर मानुषा देह की, महिमा बरनहिं साथ।जामैं पइये परम गुरु, अविगति देव अगाध॥
सुंदरदास
लाल, तुम्हारे विरह की
लाल, तुम्हारे विरह की अगनि अनूप, अपार।सरसै बरसैं नीरहूँ, झरहूँ मिटै न झार॥
बिहारी
अनल भखे शशि रति हितू
अनल भखे शशि रति हितू, चकोर गिनत न ताप।भस्म होई भवभाल लगु, हुइ कबु मित्त मिलाप॥
दयाराम
पट सत सहश्र इकीस है
पट सत सहश्र इकीस है, मनका स्वासो स्वास।माला फेरै राति दिन, सोहं सुन्दरदास॥