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सोंधे समीरन को सरदार

sondhe samiran ko sardar

सरदार कवि

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सोंधे समीरन को सरदार

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और अधिकसरदार कवि

    सोंधे समीरन को सरदार मलिंदन की मनसा फलदायक।

    किंशुक जालन को कलपद्रुम मानिनी वालनहूँ को मनायक।

    कंत अनंत अनंत कलीन को दीनन के मन को सुखदायक।

    साँचो मनो भवराज को साज सु आवत आज इतै ऋतुनायक॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : षट्ऋतु हज़ारा (पृष्ठ 73)
    • संपादक : परमानंद सुहा
    • रचनाकार : सरदार कवि
    • प्रकाशन : नवलकिशोर प्रेस
    • संस्करण : 1894

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