डर है उसको किसके बल का
Dar hai usko kiske bal ka
डर है उसको किसके बल का प्रभु जो तुम्हरे सरनागत हैं।
अब दीन दयाल न देर लगे बिगरी सब आप सुधारत हैं॥
बल वाह 'रमा' कब कौन कहाँ तुम्हरे बिन नाथ उबारत हैं।
उसको डर क्या भवसागर को जिसको करुणानिधि तारत हैं॥
- पुस्तक : स्त्री कवि-संग्रह (पृष्ठ 100)
- संपादक : ज्योतिप्रसाद मिश्र 'निर्मल'
- रचनाकार : रमादेवी
- प्रकाशन : साहित्य-भवन-लिमिटेड, प्रयाग
- संस्करण : 1940
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