बगियान बसत बसेरो कियो
bagiyan basat basero kiyo
बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
Badrinarayan Chaudhary 'Premghan'
बगियान बसत बसेरो कियो
bagiyan basat basero kiyo
Badrinarayan Chaudhary 'Premghan'
बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
और अधिकबदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
बगियान बसत बसेरो कियो, बसिये तिहि त्यागी तपाइयै ना।
दिन काम कुतूहल के जे बने, तिन बीच बियोग बुलाइये ना॥
'घनप्रेम' बढाय कै प्रेम अहो, विथा बारि वृथा बरसाइयै ना।
चितै चैत की चाँदनी चाह भरी, चरचा चालवे की चलाइयै ना॥
- पुस्तक : कविता-कौमुदी, दूसरा भाग-हिंदी (पृष्ठ 48)
- संपादक : रामनरेश त्रिपाठी
- रचनाकार : बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
- प्रकाशन : हिंदी-मंदिर, प्रयाग
- संस्करण : 1996
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