नर रामभजन बिन गत न तरन की
nar ramabhjan bin gat na taran ki
नर रामभजन बिन गत न तरन की
कोटि उपाव कर रे।।
होम नेम व्रत तीरथ साधो
क्या हुआ बन खंड वासा रे
चरन कमल उर मा उपजे नहिँ
तो लग झूठी आसा रे।।
नर रामभजन बिन गत न तरन की
कोटि उपाव कर रे।।
नर तनु पायो राम नहिँ गायो
भूल्यो पशू गव्हारा रे
सिर पर काल खड़ा शर साधे
नामदेव कहे पुकारा रे।
- पुस्तक : हिंदी के जनपद संत (पृष्ठ 270)
- रचनाकार : नामदेव
- प्रकाशन : मोतीलाल बनारसी दास
- संस्करण : 1963
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