गुरु प्यारे के चरनों की हो जा धूर
guru pyare ke charnon ki ho ja dhoor
संत शिवदयाल सिंह
Sant Shivdyaal Singh
गुरु प्यारे के चरनों की हो जा धूर
guru pyare ke charnon ki ho ja dhoor
Sant Shivdyaal Singh
संत शिवदयाल सिंह
और अधिकसंत शिवदयाल सिंह
गुरु प्यारे के चरनों की हो जा धूर।
दीन होय गुरु सन्मुख आवो, जग परमारथ जानो कूड़॥
देवी देवा भाव बिसारो, साखा तज अब पकड़ो सूर।
गुरुदयाल तोहि जुगत बतावे, घट में सुनावे अनहद तूर॥
प्रेम सहित जब जुगत कमावे, देखै नभ में अद्भुत नूर।
राधास्वामी चरन सरन गहो दृढ़कर, मेहर करें तुझ पर भरपूर॥
- पुस्तक : प्रेमप्रकाश (पृष्ठ 32)
- रचनाकार : राधास्वामी सहाय
- प्रकाशन : राधास्वामी सत्संग इलाहाबाद
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