साधौ कर लो सहज उपाया।
एक राम त्रिकुटी में बैठा, दूजा कौसल्या जाया।
तीजो जग का पालन हारा, चौथा पालन आया॥
एक राम का जगत पसारा, एक राम की माया।
चारइ राम हे एक सरूपा, कारण भेद दिखाया॥
एक राम ने माया राची, अणगण नाम धराया।
राम नाम की महिमा न्यारी, पाथर समंद तराया॥
सद्गुरु सबद ज्ञान जद दीयो, भेद अरथ समझाया।
परमब्रह्म की लीला न्यारी, कोई जाण न पाया॥
ना वो जनमे ना मर जावे, ना वो करम बंधाया।
मात-पिता कुल-वंस न कोई, ना कण जननी जाया॥
वेद पुराण में वचन सुण्यो हे, ब्रह्म रची खुद माया।
ज्ञानी ध्यानी ध्यान लगावें, भेद न कोई पाया॥
लिख-लिख थाका पढ़-पढ़ हारा, आखिर में भरमाया।
पोथी पतरी छोटी पड़गी, भरम नहीं कढ़ पाया॥
अन्त न जाण्यो वे अंता को, सबने यूँ फरमाया।
कोटि ज्ञान ते न्यारा साहिब, सतगुरुजी दरसाया॥
सहजो ज्ञान दियो म्हारे सतगुरु, पारख ज्ञान कराया।
सैन भगत सतगुरू की किरपा, अन्तरघट उपजाया॥
साधू भाई! सहज उपाय कर लो। व्यर्थ के विवादों तथा झमेलों में मत पड़ो। एक राम वह जो त्रिकुटी में बैठा है। दूसरा कौशल्या का बेटा है। तीसरा वह है जो जगत् का सृजनहार है। चौथा वह जो जगत् का पालक है। संपूर्ण सृष्टि के विस्तार में भी एक राम ही विस्तारित हैं। जब सद्गुरू ने शब्द ज्ञान प्रदान किया, तब सारा भेद समझ में आ गया है। परमब्रह्म की लीला न्यारी है। उसे कोई भी नहीं समझ पाया। वह न तो पैदा होता है, न मरता है। न वह कर्म बंधन में बँधा है। उसका न कोई, कुल है, न वंश है, न वह किसी जननी के गर्भ से आया है। मैंने वेद-पुराणों में वचन सुने हैं, यह सारी माया परमब्रह्म ने स्वयं रची है। ज्ञानी, ध्यानी, चिंतक, विचारक कोई भी उसके भेद को नहीं जान-समझ सका है। सब लिख-लिखकर थक गए, पढ़-पढ़कर थक गए। फिर भी कोई उसका भेद नहीं जान सका। वे और भी भ्रम में हँसते चले गए। उनकी पोथी-पत्री छोटी पड़ गई, फिर भी न उस परब्रह्म का कोई बखान ठीक से कर पाया, न भ्रम निकाल पाया। उस बेअंत का अंत कोई नहीं जान सका-ऐसा सभी ने अंततः कहा। 'नेति-नेति' कहकर हार गए। वह साहिब तो करोड़ों ज्ञानवानों और ज्ञानों से भी न्यारा है। उसे मेरे सद्गुरू ने दिखाया-समझाया। सद्गुरू ने सहज ज्ञान देकर पारख ज्ञान का बोध करवाया। सैन कहते हैं—सद्गुरू की कृपा से अंतर्घट में सत्य का ज्ञान हो गया।
- पुस्तक : संत सैन भगत (पृष्ठ 311)
- संपादक : अशोेक मिश्र
- रचनाकार : संत सैन भगत
- प्रकाशन : आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, मध्यप्रदेश
- संस्करण : 2013
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