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देव री सखी मोहिं उमंग बधाई

dew ri sakhi mohin umang badhai

संत शिवदयाल सिंह

संत शिवदयाल सिंह

देव री सखी मोहिं उमंग बधाई

संत शिवदयाल सिंह

और अधिकसंत शिवदयाल सिंह

    देव री सखी मोहिं उमंग बधाई। अब मेरे आनंद उर समाई॥

    छिन-छिन हरखूँ पल-पल निरखूँ। छवि राधास्वामी मोंसे कही जाई॥

    आरत थाली लीन सजाई। प्रेम सहित रस भर-भर गाई॥

    चरन सरन गुरु लाग बढ़ाई। अधिक बिलास रहा मन छाई॥

    कहा कहूँ यह घड़ी सुहाई। सुरत हंसनी गई है लुभाई॥

    शब्द गुरु धुन गगन सुनाई। अमी धार धुर से चल आई॥

    रोम-रोम और अंग-अंग न्हाई। बरन बिनोद कहूँ कस भाई॥

    लिख-लिख कर कुछ सैन जनाई। जानेंगे मेरे जो गुरुभाई॥

    राधास्वामी कहत बनाई।चार लोक में फिरी है दुहाई॥

    सत्तनाम धुन बीन बजाई। काल बली अति मुरछा खाई॥

    अलख अगम दोउ मेहर कराई। राधास्वामी-राधास्वामी दरस दिखाई॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत काव्य-धारा (पृष्ठ 346)
    • संपादक : परशुराम चतुर्वेदी
    • रचनाकार : संत शिवदयाल
    • प्रकाशन : किताब महहल, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1981

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