अतोला तेरी कर न सके कोइ तोल
atola teri kar na sake koi tol
अतोला तेरी कर न सके कोइ तोल।
जिन पर मेहर मिले सतगुरु से, सतसंग में उन बनिया डौल॥
उमंग सहित लागे अब घट में, सुनत रहे नित अनहद बोल।
सुन-सुन धुन सुत चढ़त अधर में, काल करम का छूटा हौल॥
चढ़-चढ़ पहुँची सत्तलोक में, दूर हुए सब माया खोल।
राधास्वामी दरस मेहर से मिलिया, पाय गई पद अगम अडोल॥
- पुस्तक : प्रेमप्रकाश (पृष्ठ 2)
- रचनाकार : राधास्वामी सहाय
- प्रकाशन : राधास्वामी सत्संग इलाहाबाद
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