अधर चढ़ परख शब्द की धार
adhar chaDh parakh shabd ki dhaar
अधर चढ़ परख शब्द की धार।
गुरु दयाल तोहि मरम लखावें, बचन सुनो उन हिये धर प्यार॥
बिरह अंग लेकर अभ्यासा, खोज करो तुम घट धुन सार।
गुरु स्वरूप को अगुआ करके, धुन सुन चलो कंज के पार॥
सहस कंवल में घंटा बाजे, गगन माहिं सुन धुन ओंकार।
सुन्न शिखर चढ़ं महां सुन्न पर, भंवर गुफा मुरली झनकार॥
सत शब्द का धरकर ध्याना, सत्त लोक धुन बीन सम्हार।
अलख अगम के पार निसाना, राधास्वामी प्यारे का कर दीदार॥
- पुस्तक : संत काव्य-धारा (पृष्ठ 354)
- संपादक : परशुराम चतुर्वेदी
- रचनाकार : संत सालिगराम
- प्रकाशन : किताब महहल, इलाहाबाद
- संस्करण : 1981
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