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आसिक इसक पर जो भये

aasik isak par jo bhaye

पलटू

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आसिक इसक पर जो भये

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    आसिक इसक पर जो भये, वे नहिं चाहैं करामात है जी।

    उनको सोरसार नहीं भावै, वे मस्त रहैं दिन रात है जी॥

    नहिं भूख लगै नहिं नींद आवै, नहिं पीवत हैं नहिं खात हैं जी।

    पलटू हम बूझि बिचारि देखा, वही साहिब की जाति है जी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : पलटू साहेब की बानी (पृष्ठ 288)
    • संपादक : अभिलाषा दास
    • रचनाकार : पलटू
    • प्रकाशन : कबीर आश्रम, कबीर नगर, इलाहाबाद
    • संस्करण : 2012

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