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भुवन-विदित यह जदपि

bhuwan widit ye jadpi

सत्यनारायण कविरत्न

सत्यनारायण कविरत्न

भुवन-विदित यह जदपि

सत्यनारायण कविरत्न

और अधिकसत्यनारायण कविरत्न

    भुवन-विदित यह जदपि चारु भारत भुवि पावन।

    पै रसपूर्न कमंडल ब्रज-मंडल मनभावन॥

    परम-पुन्यमय प्रकृति-छटा जहँ बिधि बिथुराई।

    जग सुर-मुनि-नर मंजु जासु जानत सुघराई॥

    जिहिं प्रभाव-बस नित-नूतन जलधर सोभा धरि।

    सफल काम अभिराम सघन घनस्याम आपु हरि॥

    श्रीपति-पद-पंकज-रज परसत जो पुनीत अति।

    आय जहाँ आनन्द करति अनुभव सहृदय मति॥

    जुगुल चरन-अरविंद-ध्यान-मकरंद-पान-हित।

    मुनि-मन मुदित मलिंद निरंतर बिहमत जहँ नित॥

    तहँ सुचि सरल सुभाव रुचिर गुनगन के रासी।

    भोरे-भोरे बसत नेह-बिकसित ब्रजवासी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 366)
    • संपादक : वियोगी हरि
    • रचनाकार : सत्यनारायण कविरत्न
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
    • संस्करण : 2002
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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