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पंचपंडव चरित रासु (ठवणि ६)

panchpanDaw charit rasu (thawani ६)

शालिभद्र सूरि

शालिभद्र सूरि

पंचपंडव चरित रासु (ठवणि ६)

शालिभद्र सूरि

और अधिकशालिभद्र सूरि

    एतलं पंडु नरिंदो जूठिलो पाटि प्रतीठिउ

    बंधवि विजयु करेवि राय सवे वसि आणीया

    सोवन राशि करेवि बंधव औगलिउ गिणं

    मित्तह रईय मणिचूड राय रहइं सभा रयणम

    राइहिं संति जिणंद नवउ प्रासादु कारावीउ

    कंचण मणिमय थंम रयणमइ बिब भरावीयां

    तेडीउ देवु मुरारि राउ दुरयोधनु आवीउ

    इछीय दीजइं दान बिंबप्रतिष्ठा नीपजं

    वरतीय देसि अमारि ऊरिण कीधी मेदिनी

    हसिऊ सभा मझारि राउ दुरयोधनु पराभबी

    माउलं सरिसउ मंत्रु तायह अम आगलि वीनवं

    वारिउ विदुरि ताएण वयणु मानइ कूडीउ

    आणीय सभामिसेण पंडव पंचइ राइ सउं

    कूडिहिं दीजइं मान वयरिहिं मांडइ जूवटउ

    राखिउ राउ जूठिलु विदुरह वयण मानीउं

    हारीयां हाथियं थाट भाईय हारीय राजी सउं

    हारीय द्रु पदह धीय ऊदालिब सवि आमरण

    ताणीय केसि धरेवि देवि दुसासणि दूजणिहिं

    आणीय सभामझारि दुरीय दुर्योधन इम भणं

    “आविन आवि उत्संगि द्रू पदि बइसिन मुझ तणं ए''

    इम भणी दियइ सरापु ‘रु [-] हुजे तुं कुलि सउं

    कुपीय काढवी चीरु अट्ठोत्तर सउ साडीय

    उठीय गुरु गंगेउ कुणबि दुरयोधनु ताजिउ

    तउ भणं “पंडव पंच वयणु महारउ पडिवजुं

    बारह वरस वणवासू नाठे हींडिवुं तेरमई

    अम्हि किम जाणिसुं तुहितउ वनवासु जु तेतलु

    पंडव लियइं वणवासु सरसीय छट्ठीय द्रूपदीय

    ॥वस्तु॥

    हैय दैवह हैय दैवह दुट्ठ परिणामु

    पियं पंचह पेखतां द्रुपदधीय कडिचीरु कड्ढीय

    द्रोण विदुर गंगेय गुरा हल्लि कोहग्गि दड्ढीय

    अम आसमुद्द धरहि धणिय इक्केक्कइं कडिचीरि

    हाकीउ रल जिम काढीइंउ आथमतई सूरि॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : आदिकाल की प्रामाणिक रचनाएँ (पृष्ठ 106)
    • संपादक : गणपति चंद्र गुप्त
    • रचनाकार : शालिभद्र सूरि
    • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हॉउस
    • संस्करण : 1976

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