नीचा करम करै नित पापी
niicha karam karai nit paapii
नीचा करम करै नित पापी, रतिय संक नहीं लावैला।
वंस दवेख बडा अभमानी, टेढ़ा सबद सुणावैला।
आदेसां रा बड़का पाड़ै, दूर खड़ा बतळावैला।
ज्ञान ध्यान री सार न जाणै, सब ही (सांगी) सिध कुहावैला।
भो तारण रो भो नहीं मानै, करणी निरफळ जावैला।
सांगी सिध बणै कळजुग में, फिर फिर गोता खावैला।
पाघड़ियां रा पेच सुंवारै, मन में राखै घुंडी।
सूदर सागै होको पीसी, किरिया करसी भूंडी।
राज डंड भगतावैला जद, घर घर फिरसी डुंडी।
गुरु प्रसादे गोरख वचने (श्रीदेव) जसनाथ(जी) कैवै देख सिधाई मुंडी।
- पुस्तक : सबद ग्रंथ (पृष्ठ 194)
- संपादक : सूर्य शंकर पारेक
- रचनाकार : जसनाथ
- प्रकाशन : श्री देव जसनाथ सिद्धाश्रम (बाड़ी) धर्मनाथ ट्रस्ट बीकानेर (राज.)
- संस्करण : 1996
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