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जै काली कल्यानी खप्परधारनी

jai kali kalyani khappardharni

बैजू

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जै काली कल्यानी खप्परधारनी

बैजू

और अधिकबैजू

    जै काली कल्यानी खप्परधारनी,

    गिरिजा घनस्यामा चंडी चामुंडा छत्रधारिनी।

    जग-जननी ज्वालामुखी आदि जोत,

    अंनतादेवी अन्नपूर्ना आनंदी तरन-तारिनी॥

    जोगिनी जै रक्षाकरनी विंध्यवासिनी,

    ललिता बहुचरा भवानी असुरदलनी महिषासुर-मारिनी।

    हिमगिरि हिंगलाज रानी काश्मीरी,

    सारदा कामरू कमक्षा तुलजा ‘बैजू’ भक्त सुख-कारिनी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : बैजू और गोपाल (पृष्ठ 44)
    • संपादक : प्रभुदयाल मीतल
    • रचनाकार : बैजू
    • प्रकाशन : साहित्य संस्थान मथुरा
    • संस्करण : 1960

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