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लता तू अनोखे ख्याल पर्यो है

lata tu anokhe khyal paryo hai

अलबेलीअलि

अलबेलीअलि

लता तू अनोखे ख्याल पर्यो है

अलबेलीअलि

और अधिकअलबेलीअलि

    लता तू अनोखे ख्याल पर्यो है।

    अतिही नीदर नैन उनीदे, आरस-रंग भर्यो है॥

    अति आसक्ति भर्यो, नहि जानत, पुहुप प्रभाव कर्यो है।

    ‘अलिबेली अलि' तृषित मानत, किहि रस-रंग ढर्यो है॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 211)
    • रचनाकार : अलबेलीअलि
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
    • संस्करण : 2002

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    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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