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मरै सूम यजमान

marai soom yajman

बैताल

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मरै सूम यजमान

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    मरै सूम यजमान मरै कटखान्ना टट्टू।

    मरै कर्कशा नारि मरै की खसम निखट्टू॥

    पुत्र वही मरजाय जो कुल में दाग लगावै।

    मित्र वही मरजाय अड़ीपर काम आवै॥

    बेनियाव राजा मरै सो इनके मरे रोइये।

    बैताल कहै सुनु बिक्रम जबै नींदभर सोइये॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : कुण्डलियाँ गिरिधरराय (पृष्ठ 37)
    • रचनाकार : बैताल
    • प्रकाशन : नवलकिशोर प्रेस, लखनऊ
    • संस्करण : 1922

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