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बाळूं या रसना परी

baळun ya rasna pari

सगरामदास

सगरामदास

बाळूं या रसना परी

सगरामदास

और अधिकसगरामदास

    बाळूं या रसना परी कदे सुमरे राम।

    सगरामदास किण काम रो मुख में आलो चाम॥

    मुख में आलो चाम काढ़ नाखो ने दूरी।

    स्वाद बाद बकवाद कपट करवा ने सूरी।

    पकड़ी रहै पापणी निकसी बकै निकास।

    बाळूं या रसना परी कदे सुमरे राम॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : सन्त-वाणी (पृष्ठ 18)
    • रचनाकार : सगरामदास
    • प्रकाशन : कानसिंह पालावत, ए-4 'करणी-कृपा' शास्त्रीनगर, जयपुर
    • संस्करण : 2001

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