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माँछी, माछर, माँगने

manchhi, machhar, mangne

भगवत रसिक

भगवत रसिक

माँछी, माछर, माँगने

भगवत रसिक

और अधिकभगवत रसिक

    माँछी, माछर, माँगने, मूसे, बादर, चोर।

    काँटे, दीमक, जीव कों, जागा दस दुख घोर॥

    जागा दस दुख घोर, बास क्यों कीजै बन में।

    असन-बसन बिनु मिले, रहै नहि धीरज मन में॥

    ‘भगवतरसिक' अनन्य-मिलन दुस्तर-श्रुति साछी।

    बिहरत स्यामा-स्याम, जहाँ नहिं माछर-माँछी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 227)
    • रचनाकार : भगवतरसिक
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
    • संस्करण : 2002

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    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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