Font by Mehr Nastaliq Web

रूप वर्णन

roop warnan

मान कवि

मान कवि

रूप वर्णन

मान कवि

और अधिकमान कवि

    कहिये सुभ राज कुंआरी, अच्छी अपच्छरी अनुहारी।

    वपु सोभा कंचन बरनी, हरि हर ब्रह्मा मन हरनी॥

    सचि सुरभि कोमल सारी, कव्वरि मनु नागिनि कारी।

    सिर मोती मांग सु साजैं, राखरी कनक मय राजैं॥

    लखि शीश फूल रवि लोपैं, अष्ठमि शशि भाल सु ओपैं।

    बिंदुली जराउ बखानी, अलि भृकुटि ओपमा आनी॥

    छवि अंजन दृग मृग छोना, पतनिय श्रुति जरित तरोना।

    नकबेसरि सोहति नासा, पयनिधि सुत लाल प्रकाशा॥

    पल उपचित गच्छ प्रधानं, अति अरुन अधर उपमानं।

    रद दारिम बीज रसाला, पढ़िये मनु बिंब प्रवाला॥

    कलकंठ सुरसना कुहकें, मुख स्वास कुसम वर महकें।

    चित चुभी चिबुक चतुराई, ससि पूरन वदन सुहाई॥

    मनु काम लता इहू मोरी, नीकी गर पोतिन बोरी।

    कँठसिरी तीलरी कहियै, चंपकली हंस सुभ चहियै॥

    मयगल मोतिन की माला, मनि मंडित झाकझमाला।

    चोकी चामीकर चंगी, रतनाली छबि बहुरंगी॥

    अष्टादश सर अभिरामं, नव सर षट सर किहि नामं।

    हारावलि मंडित हेमं, पहिरी बर कंठहि पेमं॥

    उर उरज उभय अधिकाई, श्री फल उपमा सुभ भाई।

    लीलक कंचुकी निहारी, भुजदंड प्रलंब सभारी॥

    बर करन कनक भय बंधं, बिलसत दुति बाजू बंधं।

    चूरो कंकन सो चहिये, गजरा पोचिय गुन गहिये॥

    मुद्रिय अंगुरि मन मानी, कंचन नग जरित कहानी।

    महदी मय बेलिसु मंडी, तिन पानि सोभ बहु तंडी॥

    मच्छोदारि तिवलिय मष्भे, वापी सभ नाभि सु बुष्भे।

    कटि मेखल मनि कुंदन की, तरनिय सी सोभा तिनकी॥

    चरना रंगित बहु चोलं, पहिरन बर पीत पटोलं।

    वर सभर गेह सुचि बिंबं, नीके गुरु युगल नितंबं॥

    करि कर जंघा जुग कंतं, झंझरि पय धुनि झमकंतं।

    पाइल क्षुद्राबलि रंगं, आभूषण ओर उपंगं॥

    रुचि सहज पाइ तल रत्तै, जावक वर सोभ सु जित्ते।

    गोरी सी सागय गवनी, रंभा रति केहरि रवनी॥

    जमु रूप अधिक इक जीहा, लहियें क्यौं पार सुलीहा।

    कवि मान कहै सुखकारी, नन ता सम को वर नारी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : राजविलास (पृष्ठ 104)
    • संपादक : भगवानदीन
    • रचनाकार : मान कवि
    • प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, काशी
    • संस्करण : 1912

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए