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शरद निशा में व्योम लखि के

sharad nisha mein wyom lakhi ke

राय देवीप्रसाद ‘पूर्ण’

राय देवीप्रसाद ‘पूर्ण’

शरद निशा में व्योम लखि के

राय देवीप्रसाद ‘पूर्ण’

और अधिकराय देवीप्रसाद ‘पूर्ण’

    शरद निशा में व्योम लखि के मयंक बिन,

    पूरन हिये में इमि कारन बिचारे हैं।

    विरह जराई अबलान को दहत चंद,

    तातें आज तापै विधि कोपे दया वारे हैं॥

    निशपति पातकी को तमकी चटान बीच,

    पटकि पछारि अंग निपट बिदारे हैं।

    तातें भयो चूर-चूर उचटे अनंत कन,

    छिटिके सघन सो गगन मध्य तारे हैं॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 520)
    • संपादक : महालचंद बयेद
    • रचनाकार : राय देवीप्रसाद 'पूर्ण'
    • प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
    • संस्करण : 1937

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