मङ्गल करन हारे कोमल वरण चारु
mangal karan hare komal warn charu
नाथूराम शर्मा 'शंकर'
Nathuram Sharma 'shankar'
मङ्गल करन हारे कोमल वरण चारु
mangal karan hare komal warn charu
Nathuram Sharma 'shankar'
नाथूराम शर्मा 'शंकर'
और अधिकनाथूराम शर्मा 'शंकर'
मंगल करन हारे कोमल वरण चारु,
मंगल से मान मही गोद में धरत जात।
पंकज की पाँखुरी से आँगुरी अँगूठन की,
जाया पंचबाण जी की भँवरी भरत जात॥
'शंकर' निरख नख नग से नखत श्रेणी,
अंबर सों छूट-छूट पायन परत जात।
चाँदनी में चाँदनी के फूलन की चाँदनी पै,
हौले-हौले हंसन की हाँसी सी करत जात॥
- पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 479)
- संपादक : महालचंद बयेद
- रचनाकार : नाथूराम शर्मा शंकर
- प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
- संस्करण : 1937
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