लोभन ते यश अरु क्रोधन ते गुन पुनि
lobhan te yash aru krodhan te gun puni
गोविंद गिल्लाभाई
Govind Gillabhai
लोभन ते यश अरु क्रोधन ते गुन पुनि
lobhan te yash aru krodhan te gun puni
Govind Gillabhai
गोविंद गिल्लाभाई
और अधिकगोविंद गिल्लाभाई
लोभन ते यश अरु क्रोधन ते गुन पुनि,
कपट ते सत्यता के वृंद बिनसात है।
भूखन ते मरजाद ब्यसन ते बित्त पुनि,
आपदा ते उर निज धीरज नसात है॥
ममता से ज्ञान अरु मद ते विनय पुनि,
चुगली से सबै महाबस बिखरात है।
'गोविंद' कहत तैसे जाने जिय माँहि हमें,
दीनता से दुनिया में मान मिट जात है॥
- पुस्तक : कविता-कौमुदी, पहला भाग (पृष्ठ 499)
- संपादक : रामनरेश त्रिपाठी
- रचनाकार : गोविंद गिल्लाभाई
- प्रकाशन : नार्दर्न इडिया पब्लिशिग हाउस, दिल्ली
- संस्करण : 1946
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