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जैसे बिनु लोचन बिलोकिये न रूप रंग

jaise binu lochan bilokiye na roop rang

भाई गुरुदास

भाई गुरुदास

जैसे बिनु लोचन बिलोकिये न रूप रंग

भाई गुरुदास

और अधिकभाई गुरुदास

    जैसे बिनु लोचन बिलोकिये रूप रंग,

    श्रवण बिहून रागु नादु सुनीजिऐ।

    जैसे बिनु जिह्वा उचरे बचनु अरु,

    नासिका बिहून बास बासना लीजिऐ॥

    जैसे बिनु कर करि सकै किरत कर्म,

    चरन बिहून मौन-गौन कत कीजियै।

    असन बसन बिनु धीरजु धरे देह,

    बिनु गुर-सब्द प्रेम रस पीजियै॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : कवित्त-सवैये (पृष्ठ 208)
    • रचनाकार : भाई गुरुदास जी भल्ला
    • प्रकाशन : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर
    • संस्करण : 1956

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