इंद्र जिम जंभ पर बाड़व ज्यौं अंभ पर
i.ndr jim ja.mbh par baaDav jyau.n a.mbh par
इंद्र जिम जंभ पर बाड़व ज्यौं अंभ पर रावन सदंभ पर रघुकुलराज है।
पौन बारिबाह पर संभु रतिनाह पर ज्यौं सहस्रबाहु पर राम द्विजराज है।
दावा द्रुमदंड पर चीता मृगझुँड पर भूषन बितुंड पर जैसे मृगराज है।
तेज तम-अंस पर कान्ह जिम कंस पर यौं मलेच्छ-बंस पर सेर सिवराज है॥
भूषण कवि कहते हैं कि इंद्र ने जिस प्रकार जंभासुर नामक दैत्य पर आक्रमण करके उसे मारा था और जिस प्रकार बाडवाग्नि समुद्र के पानी को जलाकर सोख लेती है, अभिमानी एवं छल-कपटी रावण पर जिस प्रकार श्रीराम ने आक्रमण किया था, जैसे बादलों पर वायु के वेग का प्रभुत्व रहता है, जिस प्रकार शिवजी ने रति के पति कामदेव को भस्म कर दिया था, जिस प्रकार सहस्रबाहु (कार्त्तवीर्य) राजा को परशुराम ने आक्रमण कर मार दिया था, जंगली वृक्षों पर दावाग्नि जैसे अपना प्रकोप दिखलाती है और जिस प्रकार वनराज सिंह का हिरणों के झुंड पर आतंक छाया रहता है अथवा हाथियों पर मृगराज सिंह का आतंक रहता है, जिस प्रकार सूर्य की किरणें अंधकार को समाप्त कर देती हैं और दुष्ट कंस पर जिस तरह आक्रमण करके भगवान् श्रीकृष्ण ने उसका विनाश कर दिया था, उसी प्रकार सिंह के समान शौर्य एवं पराक्रम वाले छत्रपति शिवाजी का मुग़लों के वंश पर आतंक छाया रहता है। अर्थात् वे मुग़लों का प्रबल विरोध करते है और वीरतापूर्वक उन पर आक्रमण कर विनाश-लीला करते हैं। उनके शौर्य से समस्त मुग़ल भयभीत रहते हैं।
- पुस्तक : भूषण ग्रंथवाली (पृष्ठ 137)
- संपादक : आचार्य विश्वानाथ प्रकाशन मिश्र
- रचनाकार : भूषण
- प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
- संस्करण : 2017
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