बाग के बगर अनुराग भरी खेले फाग
baag ke bagar anuraag bharii khele phaag
कालिदास त्रिवेदी
Kalidas Trivedi
बाग के बगर अनुराग भरी खेले फाग
baag ke bagar anuraag bharii khele phaag
Kalidas Trivedi
कालिदास त्रिवेदी
और अधिककालिदास त्रिवेदी
बाग के बगर अनुराग भरी खेले फाग,
बाला अलबेली मनमोहनी गुपाल की।
‘कालिदास’ ललित ललोंही छबि देखियत,
नथ मुकतान की कपोल दुति माल की॥
चंद करो राज अरबिंद आज कौन काज,
जाकी छबि देखन को बदन रसाल की।
भृकुटी तिलकपर बरूनी पलकपर,
विथुरी अलकपर गरद गुलाल की॥
- पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा (प्रथम भाग) (पृष्ठ 236)
- संपादक : सुधाकर पांडेय
- रचनाकार : कालिदास त्रिवेदी
- प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी
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