मरकत के सूत, कैधौं पन्नग के पूत
markat ke soot, kaidhaun pannag ke poot
बलभद्र मिश्र
Balbhadr Mishra
मरकत के सूत, कैधौं पन्नग के पूत
markat ke soot, kaidhaun pannag ke poot
Balbhadr Mishra
बलभद्र मिश्र
और अधिकबलभद्र मिश्र
मरकत के सूत, कैधौं पन्नग के पूत, अति
राजत अभूत तमराज कैसे तार हैं।
मखतूल गुनग्राम सोभित सरस स्याम,
काम मृग कानन कै कुहू के कुमार हैं॥
कोप की किरन, कै जलजनाल नोल तंतु,
उपमा अनंत चारु चँवर सिंगार हैं।
कारे सटकारे भीजे सौंधे सो सुगंध बास,
ऐसे बलभद्र नवबाला तेरे बार हैं॥
- पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा, प्रथम भाग (पृष्ठ 189)
- संपादक : सुधाकर पांडेय
- रचनाकार : बलभद्र मिश्र
- प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी
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