घन की घटा सी चढ़ी धूर सैन पायन की
ghan ki ghata si chaDhi dhoor sain payan ki
सुंदरी कुंवरी बाई
Sundari Kunwari Bai
घन की घटा सी चढ़ी धूर सैन पायन की
ghan ki ghata si chaDhi dhoor sain payan ki
Sundari Kunwari Bai
सुंदरी कुंवरी बाई
और अधिकसुंदरी कुंवरी बाई
घन की घटा सी चढ़ी धूर सैन पायन की,
दामिनी झमक छबि तामैं बरछान कै॥
पीठ गजराजहिं निसान फहरान पीत,
बिवधे मणिन दंड इंदु धनुबान कै॥
धाय रवि छादित अराम मग छांह चलै,
प्रेम के विनोदी राय रंग सरसान कै॥
जानहु सुजान भान कुल के बड़े के कान,
छायो मानो रंज को बितान आसमान कै॥
- पुस्तक : स्त्री कवि-संग्रह (पृष्ठ 86)
- संपादक : ज्योतिप्रसाद मिश्र 'निर्मल'
- रचनाकार : सुंदर कुंवरी बाई
- प्रकाशन : साहित्य-भवन-लिमिटेड, प्रयाग
- संस्करण : 1940
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