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जाकी शक्ति पाइ ब्रह्मा विष्णु औ महेश रवै

jaki shakti pai brahma wishnu au mahesh rawai

अक्षर अनन्य

अक्षर अनन्य

जाकी शक्ति पाइ ब्रह्मा विष्णु औ महेश रवै

अक्षर अनन्य

और अधिकअक्षर अनन्य

    जाकी शक्ति पाइ ब्रह्मा विष्णु महेश रवै,

    जाकी शक्ति पाइ शेष धरनी धरत है।

    जाकी शक्ति पाइ अवतार करतूत करै,

    जाकी शक्ति पाइ भानु तम को हरत है।

    जाकी शक्ति पाइ शारदाहु गणपति गुणी,

    जाकी शक्ति पाइ जक्त जीवत मरत है।

    अच्छिरअनिंन आन अमर-उपास छांड़ि,

    ताही आदिशक्ति को प्रणाम ही करत है॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्रेमदीपिका, महात्मा अक्षरअनन्य कृत (पृष्ठ 1)
    • संपादक : राय बहादुर लाला सिताराम
    • रचनाकार : अक्षर अनन्य
    • प्रकाशन : हिंदुस्तानी एकेडेमी, यू.पी
    • संस्करण : 1878

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