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बेद राखे बिदित पुरान परसिद्ध राखे

bed rakhe bidit puran parsiddh rakhe

भूषण

भूषण

बेद राखे बिदित पुरान परसिद्ध राखे

भूषण

और अधिकभूषण

    बेद राखे बिदित पुरान परसिद्ध राखे राम-नाम राख्यो अति रसना सुघर में।

    हिंदुन की चोटी रोटी राखि है सिपाहिन की काँधे में जनेऊ राख्यो मालाराखी गरमें।

    मीड़ि राखे मुग़ल मरोड़ि राखे पातसाह बैरी पीसि राखे बरदान राख्यो कर में।

    राजन की हद्द राखी तेगबल सिवराज देव राखे देवल स्वधर्म राख्यो घर में॥

    भूषण कहते हैं कि महाराज शिवाजी ने अपनी अपार शक्ति के बलबूते पर हिंदू धर्म की रक्षा की। उन्होंने औरंगज़ेब को परास्त कर वेद आदि हिंदू धर्मग्रंथों को नष्ट होने से बचाया और दूसरी ओर वेद-शास्त्रों में निहित ज्ञान का प्रसार किया। इसके अतिरिक्त हिंदू धर्म के सारभूत पुराणों की भी उन्होंने सुरक्षा की और राम-नाम का महत्त्व रखा। उस समय मुसलमानों के द्वारा हिंदुओं के धार्मिक चिह्न मिटाए जा रहे थे। उन्होंने हिंदुओं की चोटी कटने से बचाई और उन्हें आजीविका प्रदान की। उन्होंने हिंदुओं पर जनेऊ धारण करने तथा गले में माला पहनने की रक्षा की। उन्होंने दिल्ली के बादशाह को मरोड़कर रख दिया और सारे शत्रुओं को पीस डाला। साथ ही अपने हाथ में वरदान की शक्ति रखी, अर्थात् जो शरण में आया उसकी रक्षा की। हिंदू राजाओं के राज्य की सीमाओं की रक्षा की और अपने तलवार के बल पर मंदिरों की रक्षा की। इसके साथ ही वीर शिवाजी ने घर-घर में स्वधर्म (हिंदू धर्म) को बनाए रखा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : भूषण ग्रंथावली (पृष्ठ 209)
    • संपादक : आचार्य विश्वानाथ प्रकाशन मिश्र
    • रचनाकार : भूषण
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2017

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