आँख से न आँख लड़ जाय इसी कारण से
ankh se na ankh laD jay isi karan se
नाथूराम शर्मा 'शंकर'
Nathuram Sharma 'shankar'
आँख से न आँख लड़ जाय इसी कारण से
ankh se na ankh laD jay isi karan se
Nathuram Sharma 'shankar'
नाथूराम शर्मा 'शंकर'
और अधिकनाथूराम शर्मा 'शंकर'
आँख से न आँख लड़ जाय इसी कारण से,
भिन्नता की भीत करतार ने लगाई है।
नाक में निवास करने को कुटी शंकर की,
छवि ने छपाकर की छाती पै छवाई है॥
कौन मान लेगा कीर-तुंड की कठोरता में,
कोमलता तिल के प्रसून की समाई है।
सैकड़ों नकीले कवि खोज-खोज हारे पर,
ऐसी नासिका की और उपमा न पाई है॥
- पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 480)
- संपादक : महालचंद बयेद
- रचनाकार : नाथूराम शर्मा शंकर
- प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
- संस्करण : 1937
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