आपस की फूट ही तें सारे हिंदुवान टूटे
aapas ki phoot hi ten sare hinduwan tute
आपस की फूट ही तें सारे हिंदुवान टूटे टूट्यो कुल रावन अनीति अति करतें।
पैठियो पताल बलि बज्रधर ईरषा तें टूट्यो हिरनाच्छ अभिमान चित धरतें।
टूट्यो सिसुपाल बासुदेव जू सौं बैर करि टूट्यो है महिष दैत्य अध्रम बिचरतें।
राम-कर छूवन तें टूट्यो ज्यौं महेस-चाप टूटी पातसाही सिवराज-संग लरतें॥
कवि भूषण कहते हैं कि समस्त हिंदू राज्य आपसी फूट के कारण ही टूट गए, अर्थात् पराजित हो गए। रावण का वंश अति अनीति करने के कारण नष्ट हुआ। भगवान विष्णु से ईर्ष्या करने के कारण ही राजा बलि को पाताल-लोक जाना पड़ा था। शिशुपाल ने वासुदेव श्रीकृष्ण से शत्रुता की, इसलिए उसका भी विनाश हुआ और महिषासुर नामक दैत्य नीच और पाप-कर्म में प्रवृत्त था, इसलिए मारा गया। जिस प्रकार भगवान राम के हाथों का स्पर्श पाते ही शंकर का धनुष टूट गया था उसी प्रकार शिवाजी के साथ युद्ध करते ही मुग़ल साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो गया।
- पुस्तक : भूषण ग्रंथावली (पृष्ठ 222)
- संपादक : आचार्य विश्वानाथ प्रकाशन मिश्र
- रचनाकार : भूषण
- प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
- संस्करण : 2017
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