Font by Mehr Nastaliq Web

आज बरसाने की नबेली अलबेली बधू

aaj barsane ki nabeli albeli badhu

पद्माकर

पद्माकर

आज बरसाने की नबेली अलबेली बधू

पद्माकर

और अधिकपद्माकर

    आज बरसाने की नवेली अलबेली बधू,

    मोहन बिलोकिबे को लाज-काज ल्वै रही।

    छज्जा-छज्जा झाँकती झरोखनि-झरोखनि ह्वै,

    चित्रसारी-चित्रसारी चंद-सम व्वै रही॥

    कहै ‘पद्माकर’ त्यों निकसो गोबिंद ताहि,

    जहाँ-तहाँ इक टक ताकि घरी द्वै रही।

    छज्जा वारी छकी-सी उझकी-सी झरोखावारी,

    चित्र कैसी लिखी चित्रसारीवारी ह्वै रही॥

    श्रीकृष्ण गोकुल से बरसाना आने वाले हैं। उन्हें देखने के लिए बरसाने की अलबेली सुंदरियों तथा नवेली वधुओं ने अपनी सारी लज्जा और घर के कामों को भी छोड़ दिया है। वे सभी सुंदरियाँ प्रत्येक छज्जे पर और प्रत्येक झरोखे से झाँकने लगती हैं। बरसाने की चित्रशालाएँ उन सुंदरियों की उपस्थिति से साकार चित्रलिखित-सी होकर चंद्रमा के समान मनोरम लग रही हैं। कवि पद्माकर कहते हैं कि इतने में ज्यों ही श्रीकृष्ण उस मार्ग से निकले, तो वे सुंदरियाँ दो घड़ी तक सब स्थानों से एकटक श्रीकृष्ण की रूप-छवि को निहारती रही। उस समय छज्जे पर से देखने वाली सुंदरियाँ विमुग्ध-सी होकर श्रीकृष्ण को देखती रहीं, तो झरोखे वाली सुंदरियाँ उझक-उझक कर देखने लगीं। चित्रशाला से देखने वाली अलबेली सुंदरियाँ चित्र-लिखित की भाँति अपने ही स्थानों से हिलडुल नहीं सकीं और श्रीकृष्ण के रूप-दर्शनों से वे अपना अस्तित्व भी भूल गईं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : पद्मावत पंचामृत (पृष्ठ 192)
    • संपादक : विश्वनाथप्रसाद मिश्र
    • रचनाकार : पद्माकर
    • प्रकाशन : श्री रामरत्न पुस्तक भवन, काशी
    • संस्करण : 1992

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए