कामरस दीपक संवारै जाति फल चारु
kamras dipak sanwarai jati phal charu
गिरिधर पुरोहित
Giridhar Purohit
कामरस दीपक संवारै जाति फल चारु
kamras dipak sanwarai jati phal charu
Giridhar Purohit
गिरिधर पुरोहित
और अधिकगिरिधर पुरोहित
कामरस दीपक संवारै जाति फल चारु,
सजनी बिछाई सेज, कुसुम सुधा-रसी।
करत शृंगार उर-हार झांकै बार-बार,
कुंज-द्वार करति, विचार कर आरसी।
प्रगटे रजनीनाथ, आए नहीं ब्रजनाथ,
सजनी न आये गई, रजनी पहार-सी।
चिरीया चुहानी जागी, रैंनि कुंजरानी;
रुचिर शृंगार-सेज लगति अंगार-सी॥
- पुस्तक : शृंगारमंजरी (पृष्ठ 73)
- रचनाकार : गिरिधर पुरोहित
- प्रकाशन : लोकभारती प्रकाशन
- संस्करण : 1982
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