ज़िंदगी जैसे प्यार का शिलालेख
zindagi jaise pyar ka shilalekh
हरभजन सिंह माँगट
Harbhajan Singh Mangat
ज़िंदगी जैसे प्यार का शिलालेख
zindagi jaise pyar ka shilalekh
Harbhajan Singh Mangat
हरभजन सिंह माँगट
और अधिकहरभजन सिंह माँगट
जीवन जैसे प्यार का शिलालेख
मानो सुंदरतम ग़ज़ल का मतला
जैसे सपनों का सतरँगा इंद्रधनुष
जैसे गुमशुदा अर्थों की तलाश
जैसे केशों की परछाई
जैसे कोई प्रश्नलीला
जैसे अंबर में चलता
सितारों का क़ाफ़िला
जैसे कोई बंद गुफा
जैसे घर-घर की कहानी
जैसे मरुस्थल में बहता पानी
जैसे लकीरों की प्रतिछाया
जैसे फूल भी, शूल भी, लहू की लौ भी
पतझड़ का उदास नगमा भी
बसंत का गीत भी
जैसे ऋषि की तरह स्थिर पेड़
जैसे चोला टाकियों वाला
जैसे मैं ख़ुद
ख़ामोशी की दहलीज़ पर खड़ा
जैसे निपट ख़ामोशी की आवाज़
जैसे चुप्पी की गोद में सोया
शांत चित्त समंदर
जैसे तपती धरती!
जैसे सुलगता आसमान!
जैसे तपती धरती !
सूरज की आग में
अब भी ज़िंदगी की तलाश है...
- पुस्तक : बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य (पृष्ठ 303)
- संपादक : सुतिंदर सिंह नूर
- रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक फूलचंद मानव, योगेश्वर कौर
- प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
- संस्करण : 2014
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.