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ज़ंग खाई चाबी

zang khai chabi

आमिर हमज़ा

आमिर हमज़ा

ज़ंग खाई चाबी

आमिर हमज़ा

 

तमाम फ़लस्तीनी अवाम के लिए

एक चेहरा मुझे पीछे की ओर ले जाना चाहता है ख़ामोशी से घूरते
उसी बेहद कम पीली रोशन जगह में जहाँ कुछ सीढ़ी उतरती और चढ़ती हैं कुछ देह लथपथ ख़ून से
काला लिबास पहने मातमी। यह बुर्क़ा नहीं है। उस जैसा कुछ भी नहीं।

कुछ चाय भरे हाथ हैं मेरे गिर्द घड़ियों की क़ैद से आज़ाद
ख़ाली कुछ लोग हैं मेरे गिर्द इतने भी नहीं लेकिन मुब्तला
क़त्ल का इरादा दिल में लिए।
फिसलन भरा फ़र्श जहाँ खड़ा होना ईमानदारी और बेईमानी के बीच का कोई नाम है जो मैं नहीं जानता।
कुर्सी पर चुपचाप बैठी है एक देह जिसका लिबास काले से कुछ दूर का है।
बंद कमरा।
यही चेहरा हाँ बिलकुल यही।
यह अभी उतरती हुई रात का ख़्वाब है। यह ख़्वाब ज़बानी मैं कह नहीं सकता।
लिख सकता हूँ—
होंठ सिले जा चुके हैं…
दरवाज़ों को खा गईं हैं दीमकें…
ज़मीं सुर्ख रंग से सनी है…
पत्थरों से पहरे की बू आती है…
दरबान चौकस हैं…

लिख सकता हूँ—
यक़ीन एक मर चुका शब्द है
दफ़नाए जाने से बचा हुआ।
उम्मीद एक बैठी हुई क़ब्र का नाम
ना-उम्मीदी से भरा हुआ।

और फ़लस्तीन अब
भागते हुए साथ ली गई ज़ंग खाई चाबी एक
जिस पर लाल गाढ़े गरम ख़ून से लिखा है ‘घर’।

स्रोत :
  • रचनाकार : आमिर हमज़ा
  • प्रकाशन : समालोचन
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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