सीरिया और जॉर्डन बुश का साथ देंगे
सऊदी हमेशा एशिया में विदेशी हस्तक्षेप का विरोधी रहा है
इसलिए लाज़िम है वह भी बुश का साथ देगा
सद्दाम आमतौर पर शांति चाहते हैं
इसलिए रासायनिक हथियारों का खुलकर इस्तेमाल करेंगे
फिलिस्तीनी शुरू से ही आतंकवाद के कट्टर विरोधी रहे हैं
इसलिए उन्होंने सद्दाम को कह दिया है
यूज़ योर केमिकल्स
रूस भी शांति चाहता है
लेकिन उसका पेट ख़राब है आजकल
चीन भी शांति चाहता है
सो घात लगाए ख़ामोश बैठा है
जापान तो हर कीमत पर शांति चाहता है
दंगा हुआ तो दूकान बंद हो जाएगी
यूरोप की ऐतिहासिक इच्छा
तीसरी और सबसे बड़ी लड़ाई
एशिया में लड़कर हिसाब कर दिया जाए
अणुबम तो यूरोप की लड़ाई में भी एशिया पर ही गिरना था
चार दिन में दो बार
बुश ठहरे सभ्य इच्छाओं के प्रतिनिधि
सो आ गए
यूरोप का यह भी मानना है
संयुक्त राष्ट्र नियमों के तहत
तुर्की का उपयोग किया जा सकता है
पर यदि इराक़ ने तुर्की को जवाब दिया
तो यह संयुक्त राष्ट्र नियमों का उल्लंघन होगा
तुर्की के इतिहास में भी
ऑत्तोमन ने करवट ली
संयुक्त राष्ट्र के हाविअर पेरेज़
सबसे बात करके छुट्टी पर हैं
निर्णय का हक़ बुश के पास
और डबल करने का मौक़ा
लेकिन अगर इस्राइल ने इराक़ को जवाब दिया
तो सीरिया और जॉर्डन सद्दाम का साथ दे सकते हैं
हो सकता है खोमचा पलट जाए
विशेषज्ञ बोले
दैट मेक्स इट इंटरेस्टिंग
अफ़वाह फैली
देहाती टाइप का एक अणुबम भी है इराक़ के पास
फिर जब कुवैत की ख़ातिर बग़दाद उड़ाया जा सकता है
तो फ़िलिस्तीन की ख़ातिर न्यूयॉर्क भी ठीक
हो सकता है धुप्पल में कुछ और ही हाथ लग जाए
फिर धर्मसंकट में
धर्म तो संकट में रहता ही है
पोप जॉन ने प्रार्थनाएँ कीं
सद्दाम हुसैन ने प्रार्थनाएँ कीं
इस्राइल से कहा गया
करवट न लेना भले ही तुम पर तेज़ाब फेंका जाए
इस्राइल ने भी कह दिया
जो ठीक लगेगा करूँगा
भाड़ में जाओ तुम सब
अचानक यमन और फ़्रांस से फ़ॉर्मूले आए
(वे नहीं जो जर्मनी से इराक़ आए थे मस्टर्ड गैस के लिए)
स्मगलरों की ओर से फ़ॉर्मूले आए
चंद्रस्वामी सदाचारी की तरफ़ से भी आते
पर वह और किसी गड़बड़ में फँसे थे
हो सकता है कुछ लोग ग़ुब्बारे में बैठकर उड़े हों
दो-चार नर्तकियों ने कत्थक किया हो
या इसी तरह के कुछ और गंभीर प्रयास
कईयों ने महसूस किया
इस समय राजीव गाँधी होते प्रधानमंत्री
तो मज़ा आ जाता
गुजराल और वी. पी. पहले ही बोल चुके थे
हमारा मध्यस्थता का कोई इरादा नहीं
(इनसे पूछा किसने था?)
चंद्रशेखर जी ने भी मुस्कुरा कर कह दिया
हम आख़िरी दम तक प्रयास करेंगे
घबराने की कोई बात नहीं
उधर लाखों पर हुआ लाठी-पानी चार्ज
मानवता इकठ्ठी हुई सभी जगह
हत्यारों के विरोध में पीटी गई छातियाँ
इधर भयंकर ट्रेजेडी के दिनों में भी
बचा रहा सभी का सहज विनोद
रात कोई बाटलीफोड़वा प्रेस क्लब के दरवाज़े पर धीमे से बोला
लेट्श गिव पीश अ चान्श!
- रचनाकार : संजय चतुर्वेदी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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