पढ़ते हैं रेखाएँ और निहारते हैं
बार-बार अपनी हथेलियाँ
कुछ बातें करते हैं
और एकाएक छा जाती है चुप्पी
चले जाते हैं वे सूखे हुए सुख के नमक से
स्मृति की लोनाई में अपनी
मन ही मन अपने में ही
कुछ बुदबुदाते हैं
और कभी-कभी चेहरे पर चमक उठती है मुस्कान
आपस में इतना घुल-मिलकर रहते हैं वृद्ध दम्पति
जैसे झाड़-पोंछ दिया हो परस्पर की शिकवा-शिकायत
मैं पुरख़ुश होता हूँ उस समय
जब वृद्ध दम्पति अपने चेहरे पर
वक़्त के निशान के साथ
एक बच्चा-हँसी की परवरिश करते मिलते हैं
कनेर के दो फूल रहते हैं जैसे अपनी टहनी पर
रहते हुए इतने ही पास
रखते हैं वे एक-दूसरे का पूरा ख़याल
राह चलते जब एक पिछड़ जाता है
दूसरा रोक लेता है अपनी राह
कोई शिकायत नहीं उन्हें अमेरिका में रह रहे
बेटे-बेटियों या नाती-पोतों से
उम्र की तरह उनकी दुनिया की समझ भी पक्की है
बहुत सारे अफ़सोस हैं उनके भीतर
लेकिन ज़िंदगी के इस मोड़ पर
उन्होंने झंझावातों के बीच भी शांति चुनी है अपने लिए
और उन्हें देख लगता है अपने चुनाव में वे हैं
पूरी तरह से कामयाब
बात करते हुए हँसते हैं जब वे शक्कर-हँसी
वक़्त के चेहरे पर दौड़ जाती है मिठास
दुख दबाने का उनका जज़्बा
अचरज से भरता है हमें
ख़ुश दिखने के लिए
जब उड़ाने लगते हैं वे अपना ही मज़ाक़
चकित रह जाता हूँ मैं
मुझे हँसी नहीं रुलाई फूटती है भीतर ही भीतर
लेकिन बाहर मैं हँसता हूँ सुनते-देखते हुए उन्हें
हमारी उम्र भी रंगमंच है
बहुत अभिनय करना होता है दुनियादारी के लिए हमें
वृद्ध दम्पति भी सुखी-संतुष्ट होने का अभिनय करते हैं
जबकि एक का शरीर रोगों का घर है
दूसरा भी है बीपी-शुगर से परेशान
अकेले में एक दिन पुरुष ने समझा ही दिया मुझे
डॉक्टर के बताए अनुसार
अब बरिस-दो बरिस का ही है वह मेहमान
औरत तो और आगे निकली
मुझे क़रीब बुला फुसफुसाते हुए कहा कि
बेटा अब कुछ ही महीने हैं मेरे पास
इनका ध्यान रखना
अकेलेपन से इन्हें डर लगता है बहुत
इतना कहने के बाद आँसुओं में बहती उस माई को
ढाढ़स बँधाता रहा मैं काफ़ी देर
फिर देखा कुछ ही देर बाद
दोनों चाय पीते हुए हँस रहे हैं
हँसी का ऐसा अनुभव जीवन में मुझे
मिल रहा था पहली बार
पहली बार मैं भीतर फूट-फूट कर रो रहा था
और बाहर वृद्ध दम्पति की उस हँसी में
जोड़ रहा था अपनी भी हँसी
ज़िंदगी के ऐसे खेल-तमाशे में
शामिल हो रहा था मैं पहली बार
खाते हुए अपने से ही
शिकस्त दर शिकस्त!
- रचनाकार : प्रेमशंकर शुक्ल
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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