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युद्ध-शिविर में मृत देह से जन्मे बच्चे के नाम

yuddh shivir mein mrit deh se janme bachche ke naam

दामिनी यादव

दामिनी यादव

युद्ध-शिविर में मृत देह से जन्मे बच्चे के नाम

दामिनी यादव

मुझे नहीं जानना 

उन शौर्य-गाथाओं के बारे में

जिनकी ध्वजाओं पर 

रक्त के छींटे हैं,

वे युद्ध भी मेरे लिए 

सिवाय युद्ध के और कुछ भी नहीं

जिनसे की गई 'धर्म' की रक्षा,

मेरी दृष्टि केवल उन पर है

जो शव बनकर बिछे हैं,

मेरे पास नहीं हैं उस चिकित्सक के लिए 

बधाई और प्रशंसा के शब्द 

जो किसी युद्ध-शिविर में

एक मृत माँ की देह से निकाल 

उस नवजात को संसार में लाया है,

वह नहीं जानता शायद कि अगली समर-भूमि में 

उसने किसी गोली के लिए ये सीना सजाया है,

मुझमें नहीं हो रहा कोई विचलन

उन दृश्यों को देख लेने के बाद भी

जहाँ विरोधियों पर पाई जा चुकी विजय

तब तक संतुष्टि नहीं दे पाई

जब तक ठोकरों में नहीं उड़ाई गई 

धराशाई हुए घरों के अवशेषों की धूल,

ऊँचाई पर लहरा रही विजय-पताकाएं

कितनी नीची लग रही थीं तब तक, 

जब तक विजय का इतिहास 

मृत महिलाओं तक की देह को 

रौंदकर लिखा गया हो,

अपनी विजय पर तब तक संदेह होता है,

जब तक उनमें अस्पताल और स्कूलों का मलबा भी

मिला नहीं होता है,

ये सब अब कितना सहज लगता है,

मनुष्य से दिखते चेहरों में भी मनुष्य नहीं दिखता है,

आश्चर्य नहीं, क्यों मैं भी भावशून्य सपाट हूँ,

कल फिर नए विवरण जाएँगे,

हम पुरातन इतिहास से अब तक चले रहे विध्वंस भूल

नवीन मंगलाचरण गाएँगे,

हम लेते रहेंगे अंतिम श्वास तक यूँ ही श्वास नई,

धरती भी घूमती रहेगी अनंतकाल तक,

नहीं छोड़ेगी अपनी धुरी...

स्रोत :
  • रचनाकार : दामिनी यादव
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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