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वापस लौटकर

wapas lautkar

सुशीलनाथ कुमार

सुशीलनाथ कुमार

वापस लौटकर

सुशीलनाथ कुमार

और अधिकसुशीलनाथ कुमार

    गाँव के एक बुज़ुर्ग हॉस्पिटल में भर्ती थे

    रात में हार्टअटैक आया था

    घरवाले उन्हें कार से यहाँ ले आए

    दिन में उन्हें देखने गाँववाले भी आए

    कोई कितना भी व्यस्त हो

    हर घर जाता है बीमार को देखने

    गाँव ऐसे ही ख़याल रखता है अपने लोगों का

    हॉस्पिटल के बाहर खड़ी थीं

    महँगी कारें, ऑटो, मोटरसाइकिलें और छिटपुट साइकिलें

    जिन पर सवार होकर आते हैं

    बीमार और उनसे मिलने वाले

    बीमार को देखने मैं आईसीयू वार्ड में गया

    वहाँ लगे थे सात आठ बिस्तर

    जिन पर लेटे थे बीमार

    कुछ बेहोश और कुछ बेचैन

    अपने घरवालों की तरह

    हॉस्पिटल के गेट पर

    एक बीमार महिला ठीक होकर लौट रही थी

    पति के साथ साइकिल के कैरियर पर

    महँगी कारों में आए बीमार

    घरवालों के साथ बंद थे आईसीयू में

    ठीक होकर घर लौटने की उम्मीद

    और नाउम्मीद के पेंडुलम पर लटके हुए,

    चौदह साल पहले छोटा भाई पिताजी को लेकर आया था

    ट्रैक्टर में और सात साल पहले

    आग से झुलसी अपनी पत्नी को कार में

    दोनों वापस लौटकर घर नहीं गए

    जैसे लौट गई थी साइकिल वाली महिला

    स्रोत :
    • रचनाकार : सुशीलनाथ कुमार
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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