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वाल पेपर

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अनुवाद : राघु मिश्र

शक्ति महांति

शक्ति महांति

वाल पेपर

शक्ति महांति

और अधिकशक्ति महांति

    देखा न, नर्सिंग के बच्चे किस तरह

    बगुले बन कर उड़ गए झुंडों में

    कहा था न, बादल के उमड़ते ही

    लड़कियाँ चिड़ियाँ बन जाती हैं

    इस बारिश के मौसम में तुम्हारा स्कूटर ही ठीक है

    कैप्री पहन कर बाइक पर बैठा नहीं जाएगा

    घुटने तक कीचड़, जानते हो

    रेन कोट और हेलमेट में

    तुम एक अंतरिक्ष यात्री-से लगते हो

    और मैं तुम्हें जकड़ कर रखती हूँ इस धरती से

    तमाम गर्मी के दिनों में तो चुनरी ओढ़ी

    सफ़ेद दस्तानों में मानो अशरीरी का हाथ हो

    अब मेरे सारे बदन में घमौरी

    प्लीज मुझे भीगने दो, देखो-देखो

    चाय के गिलास पर मेरी लिपस्टिक को

    वह दूधवाला कैसे घूर रहा है

    जानते हो, एक-एक आसमानी बिजली

    होती है पचास हज़ार वोल्ट की

    इस फ़्लाई ओवर की ऊँचाई पर सिर्फ़

    तुम और मैं

    अच्छा, इस फ़्लाई ओवर को धनुष बनाकर

    काश हमें झटक देता कोई अंतरिक्ष में

    जहाँ से ये धरती लगती कदंब के फूल-सी

    आज रात बारिश जब खिड़की को झकझोरेगी

    और तुम्हारे फ़ोन से काँप उठेगा मेरा तकिया

    तब क्या कहूँ तुम्हें, कि जाओ

    ईश्वर को एक आदिम वाल पेपर

    भेंट करने को लौट आओ

    इस बारिश की रात में

    अरे, अब तो खोलो यह रेन कोट

    कितनी अजीब महक दे रहा यह रबड़।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : शक्ति महांति
    • प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका

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