उसकी नाभि से फूट रहा था एक पेड़
uski nabhi se phoot raha tha ek peD
मैंने तीन चित्रों का एक वृत बनाया
पहला
गीली पीठ का
दूसरा
उसकी आँखों के भीतर तैरते नद का
तीसरा
उसकी नाभि से फूटते पेड़ का
(जैसे बरगद फूट जाता है
अपनी जड़ के संपर्क में आने से)
आत्मा पर
प्रेम फूटा था
दो अर्ध-वृत्तों
के आकार का पत्ता
- रचनाकार : नरेन सहाय
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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