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उसके बोल मुझे बोलना है

uske bol mujhe bolna hai

नवल शुक्ल

नवल शुक्ल

उसके बोल मुझे बोलना है

नवल शुक्ल

और अधिकनवल शुक्ल

    जंगलों, पहाड़ों में चलता हुआ

    एक बार एक आदमी ने

    अपना घर बनाया

    खेती की, सड़कें बनाईं।

    उसने तारों को देखा

    अपनी पृथ्वी के बाहर, पृथ्वी

    अपने समय से बाहर, समय

    उसे बार-बार पकड़ना चाहा।

    वह उदास हुआ

    फिर कहा तुम्हें प्यार करता हूँ

    यह उसने पहली बार कहा

    करोड़ों बार सुनने के बाद

    उसने भी पहली बार सुना

    इतने में सब कुछ बदल चुका।

    सब-कुछ उस आदमी के शब्दों में है

    वहाँ अभी कुछ नहीं बदला है

    उसके बोल मुझे बोलना है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दसों दिशाओं में (पृष्ठ 12)
    • रचनाकार : नवल शुक्ल
    • प्रकाशन : आधार प्रकाशन
    • संस्करण : 1992

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