उदासी एक छोटा बच्चा है।
उसे नहीं पता,
वह ऐसा क्यों होता है!
वह अपने होने की
उपयुक्तता-तार्किकता;
कारण-विवरण;
नहीं जानता।
इन जटिलताओं से उसे कोई लेना-देना...
है ही नहीं!
उदासी एक छोटा बच्चा है,
उसे होने का मन होता है,
वह बस इसलिए होता है।
उदासी एक छोटा बच्चा है,
जिसकी अपने रंगों की
एक अलग दुनिया है।
नाराज़गी के लिए लाल,
असंतुष्टि के लिए गुलाबी,
भय के लिए पीला,
दर्द के लिए नीला,
जलन के लिए हरा,
दुःख के लिए काला,
और
पता नहीं के लिए सफ़ेद—
रंगों की एक विचित्र दुनिया है!
उदासी एक छोटा बच्चा है,
जो अपने उन्हीं रंगों से खेलता है
और अपने शरीर, हाथों, चेहरे पर
उन्हें बेरोक-बेहिसाब मलता है।
इसीलिए,
बाह्य जग की आँखों में वह
कभी पड़ता है पीला,
कभी चोट के निशान-सा नीला,
कभी चेहरा घने बादल-सा काला,
कभी आँखें आग-सा लाल उजाला,
कभी लोभ-जलन का वह मारा,
तो कभी यादों की धूल से सना
छोटा-सा बदन मटमैला!
दरअसल,
उदासी एक छोटा बच्चा है
जो सबसे अलग, एकांत में
अपने भावों के रंगों से खेलता है।
बाह्य जग इन सबसे अपरिचित है,
वह बस उसके बदलते रंगों को झेलता है।
उदासी एक छोटा बच्चा है,
जो अपनी दुनिया में रहना चाहता है,
अकेला; चुपचाप; बे-ख़बर;
अपने-आप से कहना चाहता है।
उदासी एक छोटा बच्चा है,
जो
चाहता है
छोड़ दिया जाए उसे उसके हाल पर;
कर लेने दिया जाए उसे अपनी दिल की।
चाहता है
अपने आत्माभिमान को पुष्ट करने के लिए
कपोल-कल्पना के चित्र बनाना
और भर देना रंग उनमें अपनी
नाराज़गी की; असंतोष की;
दर्द-भय-व्यथा-जलन
और
पता नहीं वाले भाव की!
उदासी एक छोटा बच्चा है,
जो बस करना चाहता है
अपने मन की।
- रचनाकार : तृषान्निता
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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