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उदास औरतों की गली

udas aurton ki gali

गुलज़ार हुसैन

गुलज़ार हुसैन

उदास औरतों की गली

गुलज़ार हुसैन

और अधिकगुलज़ार हुसैन

    उदास औरतों की गली

    बदनाम है बेजान खिलखिलाहटों और इशारों से

    यहाँ रात की पीली रौशनी में गड्ढों से भरी सड़कें

    चमकती हैं बारिश से धुलकर

    बिजनी के खंभे से सटकर खड़ी औरत मुस्कुराती है

    गाढ़ी लिपिस्टिक लगे होंठों से

    और उसके नीचे फटे-पुराने कपड़ों में खड़ा एक बच्चा

    उसकी साड़ी का पल्लू खींचते हुए कुछ माँगता है

    अचानक लड़खड़ाती हुई कोई औरत

    गुज़रती है किसी कुत्ते और सड़क के गड्ढ़ों से बचती हुई

    और कुत्तों के भौंकने पर देती है कोई गाली

    लेकिन उन मर्दों को वह एक भी गाली नहीं दे पाती है

    जो उसके सड़क पर गिर जाने पर ठहाके लगाते हैं

    गली के किसी अहाते में

    जहाँ ऊँची इमारतों की चमकती रौशनी

    नहीं पहुँचती है

    वहाँ लगती है इन औरतों की नुमाइश

    नशे में चीख़ते मर्दों के सामने

    वे भेदती हुई निगाहों से घूरते हैं हर औरत को

    और गालियाँ बकते हुए करते जाते हैं नापसंद

    औरतें चुपचाप सहती जाती हैं सब कुछ

    और चेहरे पर मुस्कान चिपकाए

    एक कोने से निकलकर दूसरे कोने में ग़ायब हो जाती हैं

    वे जब आईने के सामने खड़ी होती हैं

    तब बिना मुस्कुराए वे देखना चाहती हैं

    अपनी बढ़ती उम्र वाली देह

    लेकिन वहाँ चटाई पर लेटे एक छोटे बच्चे

    और कटोरे में सूखी रोटी के अलावा कुछ नज़र नहीं आता

    वे तब अचानक फिर से चेहरे पर पोतने लगती हैं फ़ेयरनेस क्रीम

    और दुबारा लगाने लगती हैं गुलाबी लिपस्टिक।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दूसरी हिंदी (पृष्ठ 95)
    • संपादक : निर्मला गर्ग
    • रचनाकार : गुलज़ार हुसैन
    • प्रकाशन : अनन्य प्रकाशन
    • संस्करण : 2017

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