Font by Mehr Nastaliq Web

ऊबने की कोई उम्र नहीं होती

ही कोई निश्चित वातावरण

ही कोई निश्चित अवस्था

इंसान बैठे-बैठे भी ऊब सकता है

दौड़ते-दौड़ते भी

थककर भी ऊब सकता है

और ख़ाली बैठकर भी

और तो और खाते-खाते

और सोते-सोते भी ऊबा जा सकता है

(काम करते हुए ऊबना

इतनी सहज प्रक्रिया है कि

उसका ज़िक्र करना भी यहाँ बेमानी माना जाएगा)

जो परदेश में हैं

वे घर को याद कर-करके ऊबते हैं

घर में रहने वालों को

नदी, पर्वत, जंगल और झरने पुकारते हैं

ग़रीब ऊब जाता है अपनी रोज़ की दाल-रोटी से

अमीर को तो रोज़ खाना खाने की प्रक्रिया ही ऊबा डालती है

ऊबती हैं घर की दीवारें

वही उदासी रोज़-रोज़ देखकर

घर के खिड़की-दरवाज़े

ऊब जाते हैं एक ऐसे इंसान का रास्ता देखते-देखते

जिसे उस दरवाज़े की चौखट पर कभी पाँव नहीं रखना

हम ऊबकर भटकते रहते हैं यहाँ-वहाँ

लेकिन जिसके भी पास जाते हैं

वह भी ऊबा हुआ होता है

हर इंसान अपनी-अपनी ऊब के तहत

अपनी-अपनी भटकन जी रहा है

ऊबने की प्रक्रिया में

हर सुधार में नए सुधार किए जाते हैं

लेकिन परिवर्तन के शाश्वत नियम के तहत

सुधार की गुंजाइश हमेशा ही बनी रहती है

पतझड़ की एक छोटी-सी झपकी भर में आता है वसंत

बिजली की एक चमक की तरह

दूज के झीने चाँद जैसा

सुंदर और कोमल

लेकिन पूनम के चाँद की तरह घटने के लिए अभिशप्त

जैसे स्वयं के अस्तित्व से ही ऊब रहा हो

जब ऊब जाता है वसंत

तब पतझड़ आता है

पतझड़ कभी नहीं ऊबता

स्रोत :
  • रचनाकार : पूनम सोनछात्रा
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए