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इस देश की नागरिकता की नई अहर्ताएँ

is desh ki nagarikta ki nai ahartayen

विहाग वैभव

विहाग वैभव

इस देश की नागरिकता की नई अहर्ताएँ

विहाग वैभव

और अधिकविहाग वैभव

    अपनी आत्मा को ख़ूब सुखा दो पहले

    फिर अपनी रीढ़ की हड्डी निकालकर सौंप आओ

    हत्यारों, आतताइयों और धार्मिक उन्मादियों के हाथ

    अपने मस्तिष्क में धर्म का धुआँ भर लो इस क़दर कि

    तुम अपनी बेटियों, पत्नियों और माँओं के लिए

    कुतिया, रंडी और छिनाल जैसे संबोधनों का समर्थन कर सको

    और सोच सको कि

    मेरा प्रधानमंत्री इसके समर्थन में है

    तो अवश्य ही अपूर्व गौरव की बात है

    अपने हृदय को

    फूल से बच्चों की जली लाश की राख से लीप लो

    कर लो बिल्कुल मृत्यु-सा काले रंग में

    और इन बच्चों की हड्डियों में

    वह रंग विशेष का झंडा लहराकर

    पूरे हृदय से भारत माता को करो याद

    अपने कानों में ठूँस लो हत्या समर्थन के सभी तर्क-पुराण

    और उन गला सुजाकर रोती माँओं की चीख़ को

    भजन या राष्ट्रगान की तरह सुनो

    जिनके ईश्वर जैसे बच्चे

    स्कूल और अस्पताल से नहीं लौटे आज की शाम

    ज़ुबान को काटकर रख आओ सत्ता के पैरों पर

    आँखों का पानी बेच आओ संप्रदाय की दुकान में

    आने के पहले थोड़ा लाश हो जाओ

    थोड़ा-थोड़ा हो जाओ पत्थर

    फिर तो स्वागत है तुम्हारा इस देश में

    एक देशभक्त और सम्मानित नागरिक की तरह।

    स्रोत :
    • रचनाकार : विहाग वैभव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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