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दोस्ती और प्रेम

dosti aur prem

गोविंद माथुर

गोविंद माथुर

दोस्ती और प्रेम

गोविंद माथुर

और अधिकगोविंद माथुर

    बहुत बरसों बाद समझ में आया

    दोस्ती एक यथार्थ है

    प्रेम एक भावुकता

    मैंने दोस्तों के लिए कुछ नहीं किया

    मैं दोस्तों से प्रेम करता रहा

    दोस्त मुझ पर एहसान करते रहे

    दोस्त तुम्हारे लिए कुछ करे

    दोस्त के लिए भी कुछ करना पड़ता है

    दोस्ती एकतरफ़ा नहीं होती

    प्रेम एकतरफ़ा हो सकता है

    पचास वर्ष बाद भी पूछा जा सकता है

    तुमने दोस्तों के लिए क्या किया

    यदि किया है तो याद भी रखना पड़ता है

    सिर्फ़ करना ही पर्याप्त नहीं

    समय आने पर गिनाना भी पड़ता है

    गाहे-बगाहे जताना भी पड़ता है

    बचपन के वे मासूम दिन—

    जब खाई थी दोस्ती की क़समें—

    भुलाने भी पड़ते हैं

    दोस्ती एक व्यावहारिकता है

    मैं दोस्ती को भी प्रेम समझता रहा

    स्रोत :
    • रचनाकार : गोविंद माथुर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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