क्या कहीं और ऐसे बुद्धिजीवी देखे हैं आपने
kya kahin aur aise buddhijiwi dekhe hain aapne
संजय चतुर्वेदी
Sanjay Chaturvedi
क्या कहीं और ऐसे बुद्धिजीवी देखे हैं आपने
kya kahin aur aise buddhijiwi dekhe hain aapne
Sanjay Chaturvedi
संजय चतुर्वेदी
और अधिकसंजय चतुर्वेदी
मैं छंद पर कुछ नहीं कह रहा
ऐसा करते ही कुछ लोगों को आग लग जाती है
और असुरक्षा में फँसे गिरोह को
फ़ालतू में भड़काना
फ़िलहाल मेरा मक़सद नहीं
मैं कविता कहने के
एशियाई तरीक़ों पर भी कुछ नहीं कह रहा
ऐसा करने पर बौद्धिक उल-जलूल का ख़तरा रहता है
मैं तो बस इन महान कवियों
इन महान क्रांतिकारियों
इन दुनिया घूमे जादूगरों से
इतना जानना चाहता हूँ
क्या संसार में कहीं और भी ऐसे बुद्धिजीवी रहते हैं
जो अपने पूर्वजों की सकारात्मक उपलब्धियों पर
इतने शर्मिंदा हों?
मुँहफट होने के लिए मुझे क्षमा करें
मेरी भर्त्सना करें अगर इसमें आपको संतोष मिलता हो
अंतिम वक्तव्य तो आपका होगा ही
लेकिन जाते-जाते मुझे यह ज़ुरूर बताते जाएँ
दुनिया घूमी है आपने
आप अवश्य जानते होंगे
क्या कहीं और ऐसे बुद्धिजीवी देखे हैं आपने
जो अपनी नकारात्मक उपस्थिति पर इतने गदगद
दूसरी संस्कृतियों की निंदनीय बातों पर भी इतने विभोर
और अपने पूर्वजों की सकारात्मक उपलब्धियों को लेकर भी
इतने ग्लानिग्रस्त
इतने पशेमान हों?
- रचनाकार : संजय चतुर्वेदी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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